महाराष्ट्र: शिव सेना संग ‘दोस्ती’ और ‘दुश्मनी’ की दुविधा में उलझी कांग्रेस

शिव सेना ने महाराष्ट्र के ‘सेनापति’ बनने के लिए सोमवार को मोदी सरकार में अपने एकलौते मंत्री अरविंद सावंत से इस्तीफ़ा दिलवा दिया.

शिव सेना को लग रहा था कि एनडीए से अलग होने की शर्त पूरी करने के बाद उसे एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन मिल जाएगा और वो प्रदेश की सेनापति बन जाएगी.

अरविंद सावंत की इस्तीफ़े के बाद कांग्रेस और एनसीपी भी हरकत में आई. दूसरी तरफ़ महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिव सेना को सोमवार की शाम साढ़े सात बजे तक बहुमत की चिट्ठी सौंपने का वक़्त दिया था.

वक़्त की सीमा बीतती जा रही थी, लेकिन कांग्रेस का समर्थन पत्र नहीं मिल रहा था. बात यहां तक चलने लगी थी कि उद्धव ठाकरे ख़ुद ही मुख्यमंत्री बनेंगे. सबको इंतज़ार था साढ़े सात बजे तक कांग्रेस के समर्थन पत्र मिलने का लेकिन नहीं मिला.

शिव सेना ने राज्यपाल से वक़्त बढ़ाने का आग्रह किया लेकिन वहां से भी निराशा मिली. आदित्य ठाकरे चाह रहे थे कि उन्हें और दो दिन का वक़्त मिले. शिव सेना नेता संजय राउत दोपहर तक सेना के सीएम होने की घोषणा करते रहे और अचानक से बीमार पड़े और उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा.

राज्यपाल कोश्यारी ने इसी बीच शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी को सरकार बनाने का आमंत्रण दे दिया.

एनसीपी विधायकों की संख्या के लिहाज़ से प्रदेश की तीसरी बड़ी पार्टी है. हालांकि दूसरी बड़ी पार्टी शिव सेना और एनसीपी में दो सीटों का ही अंतर है. शिव सेना के पास 56 विधायक हैं और एनसीपी के पास 54. सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों की ज़रूरत है जो किसी के पास नहीं है.

राज्यपाल से आमंत्रण मिलने के बाद एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा, ”राज्यपाल ने हमें सरकार बनाने का निमंत्रण दिया है. हमें 24 घंटे का वक़्त मिला है. कांग्रेस हमारी सहयोगी पार्टी है और हम सबसे पहले उससे बात करेंगे. इसके बाद ही कुछ फ़ैसला ले पाएंगे.” अगर कोई भी पार्टी सरकार बनाने में सक्षम नहीं रही तो राज्यपाल राष्ट्रपति शासन की सिफ़ारिश करेंगे.

राज्यपाल से और वक़्त नहीं मिला तो आदित्य ठाकरे ने कहा, ”हमें राज्यपाल से पत्र मिला कि क्या शिव सेना सरकार बनाना चाहती है. हमने हामी भरी कि सरकार बनाएंगे. हम कांग्रेस और एनसीपी से बात करने के लिए और दो दिन चाहते थे लेकिन नहीं मिला. हालांकि हमने सरकार बनाने का इरादा नहीं छोड़ा है. हम दोनों पार्टियों के विधायकों से बात कर रहे हैं. इसके बारे में कोई और जानकारी नहीं दे सकते.”

शिव सेना में सेनापति बनने की हसरत और एनसीपी-कांग्रेस में बीजेपी को बाहर रखने की चाहत के कारण वैचारिक भिन्नता की लक़ीर सोमवार की मिटती दिख रही थी लेकिन ऐन मौक़े पर कांग्रेस ने बाज़ी पलट दी.

कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के आवास पर कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक हुई लेकिन कोई फ़ैसला नहीं पाया कि शिव सेना को बाहर से समर्थन देना है या सरकार में शामिल होना है. अब अगर तीनों पार्टियां मिलकर सरकार बनाना चाहती हैं तो फिर से बहुत कम समय में दशकों की वैचारिक दूरियों को ख़त्म करना होगा.

कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक के बाद पार्टी ने बयान जारी करके कहा, ”महाराष्ट्र पर कांग्रेस वर्किंग कमिटी में विस्तार से चर्चा हुई. सोनिया गांधी ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से बात भी की. पार्टी अभी एनसीपी से और बात करेगी.”

शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच भी बात हुई लेकिन कांग्रेस समर्थन देने पर कोई फ़ैसला नहीं कर पाई.

हालांकि शिव सेना के सीएम बनने का सपना अब भी ख़त्म नहीं हुआ है. कांग्रेस और एनसीपी चाहें तो अब भी सेना के उम्मीदवार को सीएम बना सकती हैं. कांग्रेस के भीतर इस बात पर सहमति नहीं है कि वो बाहर से समर्थन दे या सरकार में शामिल हो. कहा जा रहा है कि शिव सेना चाहती है कि कांग्रेस सरकार का हिस्सा बने. शरद पवार की पार्टी ने समर्थन की चिट्ठी दे दी थी.

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